Garhmora
गढमोरा. करौली जिले के गढमोरा कस्बे को राजा मोरध्वज की नगरी के रूप में पहचाना जाता है। यहां हजारों साल पहले के निर्मित महल, मंदिर और कुण्ड इतने आकर्षक तरीके से बनाए हुए हैं, वे पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं। इस कस्बे में तथा आसपास पर्यटन की दृष्टि से अनेक ऐतिहासिक स्थल हैं लेकिन प्रचार के अभाव में यहां पर्यटकों की आवक कम ही होती है। सरकार का भी इन स्थलों के रख रखाव की ओर ध्यान कम ही रहा है। हालांकि अब सरकार ने भी इन स्थलों के विकास के लिए दो करोड़ रुपए मंजूर कर लिए हैं। गढमोरा में राजा मोरध्वज के महल, बुद्ध मंदिर , प्राचीन गोपाल मंदिर , रानी के महल आकर्षण का केन्द्र हैं। राज्य के विभिन्न स्थानों से इन स्थानों को देखने के लिए वे ही लोग पहुंचते हैं जो यहां के इतिहास के जानकार है या स्थानीय लोगों से सुनते रहे हैं। रतन कंवर की शिला, प्राचीन हनुमान मंदिर ,पवित्र कुंड ,पदमा बाई के महल,नारायणी माता का मंदिर, भगवान देवनारायण का मंदिर पर भीड़ उमड़ती है। यहां पर कार्तिक मास में भरने वाले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
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मोरध्वज महल
यहां पर पहाड़ी पर स्थित राजा मोरध्वज का महल भी है जो कि लगभग 5000 वर्ष पुराना है पुरानी मान्यताओं के अनुसार यहां का राजा राजा मोरध्वज था जिसने नगरी का विकास करवाया था यह महल अब महज एक खंडहर की तरह है वर्तमान में यह बिल्कुल खंडार अवस्था में है इस मंदिर के आसपास कई देवी-देवताओं के मंदिर भी है महल के सामने एक वटवृक्ष भी है जोकि राजा मोरध्वज के समय का है पुरानी मान्यताओं के अनुसार यहां पर श्री कृष्ण राजा मोरध्वज की परीक्षा लेने आए थे और उन्होंने राजा मोरध्वज से उनके पुत्र रतन कुंवर का मांस अपनी शेर को खिलाने की बात कही थी राजा ने बिल्कुल निडर होकर अपने पुत्र की बलि देने के लिए तैयार हो गया इससे खुश होकर कृष्ण भगवान ने आशीर्वाद दिया की राजा और तुम्हारी पूरी नगरी बैकुंठ लोक चली जाएगी
रतन कुंवर कि शिला
पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस शिला पर रख कर रतन कुंवर की दो चीर की गई थी जिसमें से शरीर का आधा टुकड़ा श्री कृष्ण ने महल में रखवा दिया और आधा टुकड़ा शेर के सामने शेर उस टुकड़े को खा गया लेकिन जब बाद में श्री कृष्ण के कहने पर रानी पदमा ने रतन कुंवर को आवाज लगाई तो महल से रतन कुमार का शरीर का आधा टुकड़ा पूरा शरीर बन कर बाहर लौटा और राजा मोरध्वज समझ गया कि भगवान अपनी परीक्षा लेने आए हैं
मकर सक्रांति का मेला
इस स्थान पर मकर सक्रांति को 14 जनवरी का मेला लगता है जहां पर हजारों की संख्या में लोग उपस्थित होते हैं साथ यहां पर कुश्ती दंगल जैसे कार्यक्रम होते है मकर सक्रांति के दिन सुबह जल्दी ही यहां पर लोग कुंड स्नान करने आते हैं
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Gaurishankar mali garhmora
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